Sunday 3 February 2013

RadheKrishna

दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है ,
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
जन्मो के जनम लेकर मैं हार गया मोहन ,
दर्शन बिन व्यर्थ हुआ हर बार मेरा जीवन ,
अब धैर्य नहीं मुझ में इतना क्यूँ परखता है ,


क्या खेल रचाया है मोहरों की तरह मोहन ,
क्या खूब नचाया है कठपुतली सा मोहन ,
ये खेल तेरे न्यारे बस तू ही समझता है ,

एक बार तो आ जाओ मेरी बिगड़ी बना जाओ ,
दर्शन देकर प्यारे सोये भाग्य जगा जाओ ,
प्रीतम मेरे दिल में ये अरमान मचलता है

एक बार तो आ जाओ जन्मो से तुम्हारे है ,
तेरे नित्य मिलन को अब जीवन ये तरसता है ,
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है .
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है



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