एक बार अयोध्या, दो बार द्वारिका,
तीन बार जाके त्रिवेणी में नहाओगे
चार बार चित्रकूट, नौ बार नासिक,
बार बार जाके बद्रीनाथ घूम आओगे
कोटि बार कशी, केदारनाथ, रामेश्वर,
गया, जगन्नाथ, चाहे जहाँ जाओगे
होते है दर्शन, प्रत्यक्ष
यहाँ द्रशन कामधेनू गऊ माँ के, गौधाम सा आनंद
कहीं नहीं पाओगे
गौमाता की जय !
वन्देगोमातरम !
तीन बार जाके त्रिवेणी में नहाओगे
चार बार चित्रकूट, नौ बार नासिक,
बार बार जाके बद्रीनाथ घूम आओगे
कोटि बार कशी, केदारनाथ, रामेश्वर,
गया, जगन्नाथ, चाहे जहाँ जाओगे
होते है दर्शन, प्रत्यक्ष
यहाँ द्रशन कामधेनू गऊ माँ के, गौधाम सा आनंद
कहीं नहीं पाओगे
गौमाता की जय !
वन्देगोमातरम !
No comments:
Post a Comment